Showing posts with label Depawali Pujan Vidhi. Show all posts
Showing posts with label Depawali Pujan Vidhi. Show all posts

Thursday, October 29, 2015

Depawali Pujan Vidhi And Pujan Samagri List

Dewali Pujan Samagri list



Depawali Pujan Vidhi



पूजा की वेदी सजाएं। साफ धुली हुई चौकी पर लाल वस्त्र बिछा कर कमल या किसी अन्य पुष्प अथवा अक्षत के आसन पर लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करें। बांई ओर गणेश तथा दाहिनी ओर सरस्वती की प्रतिमा रखें।

वेदी के सामने एक थाली में रोली,अक्षत, मोली ,धूपबत्ती, कपूर, चन्दन, फूल ,छह या जगह कम हो तो दो चौमुखी दीपक रखें। 26 छोटे दीए और बाती लें। इत्र भी रखें। और पूजा के लिए उपयोगी अन्य सामग्री भी रख लें। चौकी पर स्थापित लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती की मूर्ति के आगे चावल के तीन छोटी-छोटी ढेरियां विष्णु, कुबेर एवं इंद्र के नाम पर बनाएं। इसके बाद यह मंत्र पढ़ते अपने उपर जल छिड़के।-

“ॐ अपवित्रो पवित्रो वा:,सर्व: वस्थं गतो अपि वा: य: स्मरेत पुंडरीकाक्षम,सा बाह्यअभ्यान्तारशुचि:। इसके बादमंत्रों से तीन आचमन करें- (1)ॐ केशवाय नमः, (2)ॐ माधवाय नमः, (3)ॐ नारायणाय नमः।

अक्षत हाथ में लेकर उसमे जल छिड़क कर चारो दिशाओं में फेंके। फिर स्वस्ति-वाचन करें। अब दीपक पर अक्षत छिड़कें हाथ में अक्षत एवं फूल लेकर उक्त मंत्रों का ही उच्चारण कर हस्त–प्रक्षालन करें, गणेश, लक्ष्मी और सरस्वती की मूर्तियों को कच्चे दूध से स्नान कराए।

दुग्धस्नान के बाद गंगाजल से स्नान कराएं। साफ कपडे से मूर्तियां पोंछकर उन्हें वस्त्र तथा आभूषण (माला) धारण करवाएं। देव प्रतिमाओं को तिलक करें। सिंदूर चढ़ाएं -दीप प्रज्ज्वलित करें। गणेशजी को तथा लक्ष्मीजी के समक्ष पंचामृत समर्पित करें (दूध,धृत, शक्कर,शहद एवं दही से बना मिश्रण का पात्र रखें)।
अब हाथ जोड़कर गणेश-वंदन करें।

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः,
निर्विघ्नम    कुरुमेदेव    सर्वकार्येषु    सर्वदा:।

गणेशजी और लक्ष्मी को क्रम से रोली, अक्षत का तिलक करें और इसके बाद इत्र ,धुप, नैवैद्यम चढ़ा कर दीप दिखाएं।

इसके बाद लक्ष्मी को भी इसी तरह नैवेद्य आदि चढ़ाते हुए पुष्पासन पर बिठाते हुए वस्त्र,आभूषण चढ़ाएं। उन्हें रोली,सिन्दूर चढ़ाएं और मंत्र पढ़ें। कुमकुमः अर्पितो देवी ग्रहान्परमेश्वरी। सिंदूरो शोभितो रक्तं। ॐ श्री महालाक्ष्म्मै च विद्महे ,विष्णु पत्न्यै च धीमहि ,तन्नौ लक्ष्मी प्रचोदयात ॐ ।। अब इन मंत्रों से नमस्कार करें।

ॐ आद्य-लक्ष्म्यै नमः ।ॐ विद्या-लक्ष्म्यै नमः ।ॐ सौभाग्य- लक्ष्म्यै नमः ।ॐ अमृत लक्ष्म्यै नमः। ॐ कमालाक्ष्याई - लक्ष्म्यै नमः। ॐ सत्य लक्ष्म्यै नमः। ॐ भोग लक्ष्म्यै नमः। ॐ योग-लक्ष्म्यै नमः ।अब यह मंत्र पढ़ कर पुष्प चढ़ाएं- “कर-कृतम् व कायजं कर्मजं वा श्रवण नयनजम वा मानसम् वा अपराधं विदितमविदित वा .सर्वमेतत क्षमस्व,जय जय करुणाब्धे ,श्री-महालाक्ष्मि त्राहि।

श्री लक्ष्मी देव्यै मंत्र-पुष्पांजलि समर्पयामि ।। क्षमा प्रार्थना करें: आवाहनं न जानामि ,न जानामि विसर्जनं ।पूजा-कर्म न जानामि ,क्षमस्व परमेश्वरी। मंत्र-हीनं क्रिया-हीनं भक्ति- हीनं सुरेश्वरी। मया यत पूजितं देवि ,परिपूर्णं तदस्तु मे।